कुत्ता नापाक जानवर क्यों है? islam me kutta palna kaisa hai

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"कुत्ता नापाक जानवर क्यों है?"

    कुरआन में कुत्ते को नजस-उल-ऐन (पूर्णतः नापाक) तीन कारणों से ठहराया गया है। वे तीन स्वभाव क्या हैं जिनकी वजह से उसे नापाक घोषित किया गया?

    1. पहला स्वभाव: जब अल्लाह तआला अपनी रहमत बरसाता है, अपनी नेमतों की बारिश करता है, तो यह उस वक्त औंधे मुंह सो जाता है। यानी पूरी रात जागता रहेगा, मगर जब खुदा की रहमत का नुज़ूल (उतरना) होता है, तब इस पर नींद का ग़ल्बा (प्रभाव) आ जाता है।

    2. दूसरा स्वभाव: यह अपने ही जैसे (हम-जिंस) को देखकर हमेशा भौंकता रहेगा, उससे नफरत का इज़हार करेगा।

    3. तीसरा स्वभाव: यह अपनी खाने की जरूरत पूरी करने के बाद बचा हुआ खाना ज़मीन में गड्ढा खोदकर दफना देता है, ताकि वह किसी और के काम न आ सके।

     इसके बाद मेरे दिमाग में यह सवाल आया कि अगर यह इतना ही नापाक जानवर है तो फिर वह कुत्ता जो असहाब-ए-कहफ (गुफा वालों) के साथ था, उसके लिए जन्नत क्यों वाजिब करार दी गई?

    असहाब-ए-कहफ के कुत्ते को लेकर बहुत से धर्मों में बड़ा मतभेद पाया जाता है, मगर यह बात अपनी जगह पर सही है कि कुरआन शरीफ में इस कुत्ते के लिए जन्नत वाजिब करार दी गई है।

असहाब-ए-कहफ का कुत्ता

    असहाब-ए-कहफ के वाक़ये से पता चलता है कि उनके साथ एक कुत्ता भी था, जो उनके साथ रहता था और उनकी हिफ़ाज़त करता था। यह कुत्ता उनके साथ कहां से शामिल हुआ था? क्या यह उनका शिकार करने वाला कुत्ता था, या वह चरवाहे का कुत्ता था जिससे उनकी राह में मुलाक़ात हुई थी? जब चरवाहे ने उन्हें पहचान लिया, तो उसने अपने जानवरों को आबादी की ओर रवाना कर दिया और खुद उन पाकबाज़ लोगों के साथ हो लिया, क्योंकि वह भी हक़ की तलाश और दीदार-ए-इलाही (ईश्वर के दर्शन) का तलबगार था।

    उस समय कुत्ता उनसे अलग नहीं हुआ और उनके साथ शामिल हो गया। फिर जब जंग के समय दुश्मन ग़ार (गुफा) के करीब आए, तो इस कुत्ते ने अपनी फितरत के मुताबिक भौंकना चाहा, मगर फिर अचानक रुक गया और सिर झुकाकर बैठ गया। जब दुश्मनों ने यह देखा, तो वे यह कहकर वहां से गुजर गए कि "अगर यहां कोई होता, तो यह जानवर जरूर भौंकता।" इस कुत्ते ने अपनी फितरत को छोड़ दिया, और इसी वजह से उस पर जन्नत वाजिब हुई।

इस पूरी चर्चा का मकसद

    इस पूरे किस्से को बयान करने का मकसद यह था कि जब यह बहस चल रही थी, तो मेरे दिमाग में अजीब-सी बेचैनी थी। मुझे रोना आ रहा था। एक अजीब घबराहट हो रही थी।

    बहस कहां से चली थी और कहां पहुंच गई! मेरी बेचैनी की वजह यह थी कि जिन आदतों की वजह से कुत्ते को नापाक करार दिया गया, वही सारी फितरतें और आदतें क्या हमें इंसानों में भी नहीं दिखाई देतीं?

क्या मैं और आप इन आदतों के शिकार नहीं हैं?

  •     पूरी रात अपनी फिजूल की मसरूफियत (व्यस्तता) में जागकर सुबह सो जाना – क्या यह हमारी दिनचर्या का हिस्सा नहीं बन चुका?
  •     अपने ही भाई-बहनों से नफरत करना, एक-दूसरे के लिए सहूलतें पैदा करने के बजाय उन्हें मुश्किल में डालना – क्या यह समाज में आम नहीं हो गया?
  •     अपनी जरूरत पूरी करने के बाद बाकी चीजों को छुपा देना, ताकि कोई और उसे इस्तेमाल न कर सके – क्या हम ऐसा नहीं करते?

सोचने की जरूरत

    अगर इन्हीं आदतों की वजह से कुत्ते को नापाक करार दिया गया, तो फिर क्या हम इंसान खुद को पाक (पवित्र) कह सकते हैं?

फैसला आपको करना है!



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